TMF: ना बंगला ना गाड़ी, अदा शर्मा को उसके माता पिता ने दिया दुनिया का ये सबसे बेहतरीन तोहफा!
पैरेंट्स की है शुक्रगुजार!इस दुनिया में सबसे ज्यादा कीमती तोहफा क्या होगा? अगर ये बात आप किसी से पूछे तो कोई कहेगा, बंगला, गाड़ी, ज्वेलरी, सोना, पैसा, प्रॉपर्टी या और कुछ। लेकिन अगर ये सवाल आप किसी ऐसे इंसान से पूछेंगे, जो बचपन से किसी न किसी तरह की कैद में हो, तो आपको इस बात का सही जवाब शायद मिल जाएं। भारत के कई घरों में महिलाओं या बच्चों को आजादी नहीं दी जाती है। ये बात किसी पुराने ज़माने की नहीं, बल्कि अभी भी कई घरों में महिलाओं और बच्चों पर अनेक तरह की पाबंदियां लगाई जाती है। ठीक इसी मामले में खुद को भाग्यशाली समझने वाली एक्ट्रेस अदा शर्मा Hauterrfly के The Male Feminist के नए एपिसोड में बात करते हुई दिखाई दी। चलिए जानते है अदा इस बारे में खुद को भाग्यशाली क्यों समझती है!
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1920, हंसी तो फंसी जैसी शानदार फिल्मों में अपनी अदाकारी दिखाने वाली एक्ट्रेस अदा शर्मा अपनी आजादी को लेकर खुद को काफी भाग्यशाली समझती है। सोशल मीडिया पर हमेशा ऐक्टिव रहने वाली इस एक्ट्रेस ने हर भाषा के लिए काम किया है।
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तमिल ब्राह्मण जैसी स्ट्रिक्ट फैमिली में पैदा हुई अदा का बचपन भी काफी अच्छा था। उसका परिवार काफी अनुशासन प्रिय था, जिस वजह से वह मानती है की उसकी परवरिश काफी अच्छी हुई। लेकिन एक्ट्रेस एक मामले में खुद को बहुत ही ज्यादा भाग्यशाली समझती है, और वो है उसके माता-पिता ने उसे दी हुई आजादी। बचपन से ही माता-पिता ने उसे हर बात की आजादी दी है, इसीलिए अदा उनकी शुक्रगुजार है। अदा को लगता है आजादी इस दुनिया का सबसे कीमती तोहफा है जो आपको कोई देता है। इस आजादी में अपने पसंद को चुनने की आजादी, विचार करने की आजादी सबसे जरुरी है ऐसे अदा को लगता है।
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अदा को लगता है की, जब कोई आपको विचार करने की आजादी देता है, तो आप रचनात्मक रूप से विकसित हो सकते है, आपके सोचने की क्षमता बढ़ सकती है, आप शांति को अपनाते हो। विचार करने की क्षमता कोई नियंत्रण करें तो इससे आप कभी आगे नहीं बढ़ पाते। अदा को ये भी लगता है की, लोगों को दूसरों को नियंत्रित नहीं करना चाहिए। ये बहुत ही गलत बात है। कई बार कई घरों में लड़कियों को सिखाया जाता है की, उन्हें कैसे बैठना चाहिए, किस तरह से पैरों को रखना चाहिए, क्या कपडे पहनने चाहिए, क्या पढाई करनी चाहिए। इतना ही नहीं, भारतीय घरों में कई बाद लड़कियों को उनके मर्जी के खिलाफ शादी भी करनी पड़ती है। ये एक तरीके की आजादी छीनना ही है। अगर आप किसी को नियंत्रण में रखना चाहते है, तो वो एक तरह से उनकी आजादी छीनने की बात ही होती है।
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अदा शर्मा ने इस बारे में आगे बताते हुए कहा की, घरों में बच्चों को अगर कुछ सिखाया जाता है तो लिंग के हिसाब से ना सिखाए। घर में अगर बेटी को माँ-बाप घर के काम सिखाते है तो बेटों को भी वही काम सीखने चाहिए, लड़कों को भी खाने के बाद उनके प्लेट्स उठाकर रखने के लिए कहा जाना चाहिए। अगर आप घर में बेटी को कुछ और और बेटे को कुछ और सीखा रहे हो, तो ये बात बेहद गलत है। ये बात उनके आजादी को धक्का जरूर पहुंचा सकती है। अगर घर पर छोटे बच्चे ने किसी को मारा, तो उससे प्रभावित होकर उसकी तारीफ़ करने से बात आगे जाकर और बिगड़ सकती है। जैसे घरों में लड़कियों को ठीक से बैठने के लिए कहा जाता है, ठीक वैसे ही बेटों को भी किसी को भी मारधाड़ न करना सिखाया जाना चाहिए। ताकि आगे जाकर वो अपनी बीवी या किसी भी महिला पर हाथ न उठा पाए।
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अदा के काम की बात करें, तो जल्द ही एक्ट्रेस द केरला स्टोरी में दिखाई देने वाली है। अपने विचारों के बारे में अदा शर्मा ने आगे भी बहुत कुछ कहा है। साथ ही कई विषय पर अदा ने सिद्धार्थ अलम्बयन के साथ बात की है। अदा के विचार, उसके बचपन, उसके काम के बारे में और करीब से जानने के लिए Hauterrfly का The Male Feminist का नया एपिसोड जरूर देखें।