Exclusive: कम उम्र में ही लड़कों से बेहतर ढोल बजाने लगी थी Mayuri Jagtap, कहा “ढोल को नहीं पता लड़का और लड़की में फर्क”
लड़किया किसी से कम नहीं!गणपति हो या नवरात्री का उत्सव, मुंबई के साथ साथी कई शहरों में अब ढोल-ताशा का क्रेज देखने मिल जाता है। गणपति बाप्पा, देवी के आगमन के दौरान या विसर्जन के वक्त पुरे जोश से अपने हाथों से ढोल ताशा सुरीले ढंग से बजाने वाले वादकों की संख्या भी दिन ब दिन बढ़ते ही जा रही है। आपको बता दे की अब ढोल ताशा सिर्फ और सिर्फ पुरुषों या लड़कों के ही हाथों में बजते नहीं दीखता, बल्कि कई जगहों पर कई वादक ये महिलाएं और लड़कियां भी होती है। हाथों में बिजली की तरह शक्ति भरकर लड़कियां भी पुरे जोश से ढोल बजाती नजर आती है। एक ऐसी ही प्रेरणादायी कहानी है मयूरी जगताप (Mayuri Jagtap) की, जिसने महज 9 साल की उम्र से भी ढोल बजाना शुरू किया है और आज वह अपने ढोल ताशा ग्रुप की खास सदस्य है। Hauterrfly के Chief Naari के एपिसोड में हम आपको मयूरी जगताप की प्रेरणादायी कहानी बताने वाले है।
हालात लोगों को क्या कुछ नहीं करने पर मजबूर कर देते है। लेकिन कई बार हालात की वजह से ही हम अपने सपने पुरे कर पाते है और जीवन में दूसरों को भी भर भर कर प्रेरणा देते है। एक ऐसी ही कहानी मयूरी जगताप की है, जो ढोल ताशा पथक में एक मुख्य वादक है। जैसे मानों हाथों में बिजली सी दौड़ गई हो, इस जोशीले अंदाज से 23 साल की मयूरी ढोल बजाती है और लोगों में जोश भर देती है। महज 9 साल की उम्र से मयूरी ने ढोल बजाना शुरू किया था। पिछले 14 सालों से मयूरी ढोल बजा रही है। मयूरी को लगता है की, ढोल बजाना सिर्फ लड़कों का काम नहीं होता। मयूरी के घर से भी कभी उसको ढोल बजाने के लिए टोका नहीं गया या कभी उसे किसीने पूछा नहीं की, इतना बड़ा ढोल तू कैसे बजाएगी या कैसे उठाएगी। समय के साथ साथ ढोल बजाने में मयूरी माहिर हो गई।
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18 किलो का ढोल मयूरी आसानी से उठा लेती है और तेजतर्रार होकर बजाती भी है। लोगों की तालियां, तारीफें और उनका जोश मयूरी को ढोल बजाने के लिए और भी प्रेरित करता है। पिछले एक सालों से वह शंखनाथ ढोल पथक में ढोल बजा रही है और वह पथक आज मयूरी का घर है। पहले पहले वह भी इतने बड़े ढोल को कैसे उठाए, कैसे बजाएं इस दुविधा में फंसी थी, लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया, मयूरी में आत्मविश्वास आने लगा। ढोल ताशा पथक के लिंग भेदभाव के बारे में मयूरी कहती है की, ढोल को नहीं पता की उसे बजाने वाला लड़का है या लड़की, अगर जज्बात से बजाओ तो सब एक जैसा बजेगा!
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मयूरी अपने ढोल ताशा पथक को सिर्फ एक पथक नहीं कहती, तो वह उसके लिए एक परिवार की तरह है। पथक में कोई भी समस्या खड़ी होती है, तब उसका ये परिवार उनकी मदद करता है। अपने इस ढोल के प्रति मयूरी का प्यार देख आपको उसपर फक्र महसूस होगा। मयूरी के इस जोश के लिए उसे सलाम!