आषाढ़ महीने के शुरुवात में ही योगिनी एकादशी आती है। आषाढ़ कृष्ण पक्ष में आने वाली पहली एकादशी को ही योगिनी एकादशी कहा जाता है। हर साल आने वाली 24 एकादशी में से ये योगिनी एकादशी भी बेहद महत्वपूर्ण होती है। इस साल 14 जून को आने वाली इस योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का महत्त्व है। 14 जून को योगिनी एकादशी के दिन व्रत रखा जाता है और दूसरे दिन 15 जून को ये व्रत तोडा जाएगा। इस योगिनी एकादशी के महत्त्व के बारे में, व्रत और पूजा के बारे में जानना है तो आगे पढ़े।
और पढ़े: Akshaya Tritiya: जान ले कब मनाया जाएगा त्यौहार, दिन का महत्त्व और तिथि!
योगिनी एकादशी महत्त्व
हिंदू धर्म में योगिनी एकादशी का महत्त्व काफी बड़ा है। हर साल योगिनी एकादशी निर्जला एकादशी के बाद और देवशयनी एकादशी से पहले आती है। योगिनी एकादशी उत्तर भारतीय कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में आती है। ऐसी धारणा है की, योगिनी एकादशी का व्रत करने का फल 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर होता है। घर में सुख, शांति, समृद्धि के लिए इस दिन भगवान विष्णु की भक्तिभाव से पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। ये व्रत करने से पापों का नाश भी होता है ऐसे माना जाता है।
ऐसे करें पूजा
योगिनी एकादशी के दिन घर में सुख और समृद्धि लाने के लिए भगवान विष्णु की प्रार्थना की जाती हैं। कई लोग बिना कुछ खाए-पिए निर्जला व्रत भी रखते है। इस दिन सुबह जल्दी स्नान करते हुए भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की भक्तिभाव से पूजा करें। आरती करें, उन्हें फूल और प्रसाद चढ़ाएं। इस दिन सुबह ही व्रत शुरू करते हुए दूसरे दिन सुबह उपवास छोड़ना है।
और पढ़े: Chaitra Navratri 2023: महानवमी पर की जाती है मां सिद्धिदात्री की पूजा, जानें तिथि और महत्व!
मुहूर्त
इस पूजा का मुहूर्त सुबह 05:23 बजे से सुबह 08:52 बजे तक और सुबह 10:37 बजे से दोपहर 12:21 बजे तक रहेगा। इस योगिनी एकादशी की तिथि 13 जून, मगलवार को सुबह 9.28 से शुरू होकर दूसरे दिन यानी 14 जून, बुधवार को सुबह 08:48 बजे तक समाप्त होगी। वही एकादशी के व्रत का पारण समय 15 जून, गुरुवार को सुबह 05:23 बजे से सुबह 08:10 बजे तक रहेगा। योगिनी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं!