प्यूबर्टी के दौरान बच्चों में महसूस हो रहे बदलाव, उनसे बात करते वक़्त रखें इन चीजों का ध्यान!

बच्चें जैसे ही युवावस्था की दहलीज में कदम रखते हैं, उनके अंदर कई तरह के बदलाव नजर आते हैं। बच्चों में होने वाले इसी बदलाव को यौवन यानी प्यूबर्टी कहते है। प्यूबर्टी के दौरान लड़के या लड़कियों के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। शरीर में होने वाले इस बदलाव को लेकर बच्चे कई बार हड़बड़ा जाते है। लेकिन पैरेंट्स को अपने बच्चों की इस परेशानी में सहायता करनी चाहिए। पैरेंट्स को प्यूबर्टी के बारे में अपने बच्चों को समझाना चाहिए और कुछ बाते बतानी चाहिए। चलिए जानते है बच्चों से इस विषय पर बात करते वक़्त पैरेंट्स को किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए।

प्यूबर्टी के दौरान लड़कों में टेस्टिकल्स और पेनिस का साइज बढ़ता है, चेहरे में बाल आ जाते हैं और आवाज में भारीपन जैसे कुछ लक्षण खाई देने लगते हैं। वहीं लड़कियों में पीरियड्स का शुरू होना, ब्रेस्ट के साइज में बढ़ना और चेहरे पर पिंपल्स जैसे कई बदलाव देखे जाते हैं। प्यूबर्टी काल की बात करें तो इसकी शुरुआत लड़कियों में 8 से 13 साल की उम्र में होती है, जबकि लड़कों में इसकी शुरुआत 9 से 14 साल की उम्र के बीच होती है। ऐसे में पेरेंट्स को अपने बच्चों का खास ख्याल रखना चाहिए।

पेरेंट्स रखें इन चीजों का ख्याल

1. यौवन यानी प्यूबर्टी के दौरान अपने बच्चे में हो रहे बदलावों पर उनसे बात करें। इस दौरान दिखने वाले किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें। अगर आपके बच्चों में शारीरिक या भावनात्मक बदलाव दिख रहे हैं तो जरूरी है कि आप किसी विशेषज्ञ के पास जाएं या खुद उनसे बात करे।

2. प्यूबर्टी के दौरान जितना हो सके अपने बच्चों के साथ समय बिताएं और उनसे खुलकर बात करें। प्यूबर्टी में हो रहे बदलाव शरीर में जो भी बदलाव हो रहे हैं वो बिल्कुल नॉर्मल हैं यह उन्हें समझाए।

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3. अक्सर युवावस्था से गुजर रहे बच्चे इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि वह इस बदलाव के कारन कुछ अजीब दिख रहे है। पेरेंट्स उन्हें यह जानने में मदद कर सकते हैं कि हर कोई इन परिवर्तनों से गुज़रता है। इस परिवर्तन के दौरान मुंहासे, मिजाज में बदलाव, विकास में तेजी, और हार्मोनल परिवर्तन जैसे बदलाव इस का हिस्सा हैं और हर कोई इससे गुजरता है, इसलिए इस बदलाव के बारे में अपने बच्चे से बात करें।

4. प्यूबर्टी के दौरान अपनी बेटी से जितना हो सके पीरियड्स के बारे में बात करें। अगर आपकी बेटी को पीरियड्स को लेकर कोई सवाल नहीं है तो भी आप अप्रत्यक्ष रूप से बात कर सकती हैं। पीरियड्स क्यों आते है, इस वक़्त क्या करना चाहिए, खुद को कैसे संभालना चाहिए यह सब बातें अपने बच्ची से करनी चाहिए। पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लड फ्लो होने से कई लड़कियां परेशान हो जाती हैं, ऐसे में पेरेंट्स को उनकी मदद करनी चाहिए। इस दौरान कौन सा प्रोडक्ट इस्तेमाल करना चाहिए इसके बारे में जरूर बताएं।

5. पेरेंट्स को अपने बेटे को उनकी फीमेल दोस्त में होने वाले बदलाव को लेकर समझ देनी चाहिए। ऐसे में लड़कों को उनकी दोस्त पर टिप्पणी करने के बजाए उनके प्रति संवेदनशील बनाने की कोशिश करें। बढ़ती उम्र के साथ लड़कों के अंदर भी कई तरह के बदलाव होते हैं चाहे वो फिजिकल या इमोशनल। ऐसे में आप अपने बेटे को हर तरह की योग्य जानकारी दिलाने की कोशिश करें।

6. प्यूबर्टी के दौरान लड़कों में सोते समय वेट ड्रीम्स आते हैं, जिसे स्लीप ऑर्गेज्म कहते है। नींद में सेक्शुअल सपने देखने पर होने वाले डिस्चार्ज को ही स्लीप ऑर्गेज्म कहते हैं। ऐसे में लड़कों के अंदर शर्मिंदगी महसूस होती है, पेरेंट्स को अपने बेटे से इस बदलाव के बारे में खुलकर बात करनी चाहिए।

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प्यूबर्टी के दौरान होते हैं ये बदलाव

1. लड़कियों का बॉडी शेप बदलने लगता है, खासकर छाती, कूल्हे और टांगों में फैट्स जमने लगते है।

2. लड़कियों के ब्रा साइज बढ़ने लगता है, कभी-कभी एक से दूसरे की तुलना में यह बदलाव तेजी में होता है।

3. लड़कियों और लड़कों को प्राइवेट पार्ट्स पर और बगल के बाल होने लगते हैं, और उनके पैर के बाल घने और काले हो जाते हैं।

4. लड़कियों और लड़कों दोनों को अक्सर मुंहासे हो जाते हैं और अधिक पसीना आने लगता है।

5. लड़कियों और लड़कों दोनों के शरीर में तेजी से ग्रोथ होती है।

6. लड़कों की आवाज बदल जाती है और गहरी हो जाती है।

7. लड़कों के चेहरे पर बाल उग आते हैं और उनकी मांसपेशियां बड़ी हो जाती हैं।

8. लड़कियों को पीरियड्स शुरू हो जाते हैं, ऐसे में लड़कियों को खास बातों का ख्याल रखना जरूरी होता है।