पूरी दुनिया में 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस () मनाया जाता है। पुरे विश्व में हेपेटाइटिस मनाने का मुख्य उद्देश्य भी काफी खास है। नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक डॉ. बारूक ब्लमबर्ग (Baruch Blumberg) के जन्मदिन के अवसर पर विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। ब्लमबर्ग ने हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B) वायरस (HBV) की खोज की थी और साथ ही इस वायरस से बचने के लिए परीक्षण और टीका (Vaccine) का भी निर्माण किया। हेपेटाइटिस एक प्रकार का संक्रमण है, जो किसी के भी लीवर को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। अगर किसी गर्भवती महिला को ये समस्या हो जाएं, तो नवजात शिशु को भी ये बीमारी हो सकती है। चलिए इसके बारे में और जानते है।
हेपेटाइटिस इस लिए खतरनाक साबित हो सकता है, क्यों की इस बीमारी के होने का कई बार पता ही नहीं चलता। हेपेटाइटिस यकृत की सूजन और यकृत कैंसर का प्रमुख कारण बन सकता है। हेपेटाइटिस के वायरस दुनियाभर के सभी लोगों के साथ ही गर्भवती महिलाओं को भी प्रभावित कर सकता है। प्रेगनेंसी में अगर हेपेटाइटिस हो जाए तो इससे बच्चे को भी यह संक्रमण हो सकता है। ये वायरस HIV से भी काफी खतरनाक साबित हो सकता है। हेपेटाइटिस वायरस के ए, बी, सी, डी और ई ये सामान्य 5 प्रकार होते है। इनमे से सबसे खतरनाक वायरस है हेपेटाइटिस बी, जो अधिक तौर पर संक्रमित इंजेक्शन, पियर्सिंग, नीडल, संक्रमित टूथब्रश या असुरक्षित यौन संबंध से हो सकता है।
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1. प्रेगनेंसी में हेपेटाइटिस होने से लिवर यानी यकृत में सूजन और जलन पैदा होती है। इसके साथ ही अगर ये बीमारी अधिक फैल गई तो यकृत का ऑपरेशन कर ट्रांसप्लांट भी करना पड सकता है।
2. प्रेगनेंसी में अगर हेपेटाइटिस हो गया, तो समय से पहले बच्चा पैदा होने का खतरा भी बना रहता है। इसके साथ ही ये संक्रमण नवजात बच्चे को भी हो सकता है।
3. हेपेटाइटिस की वजह से समय से पहले अगर डिलीवरी हो गई, तो बच्चा कम वजन वाला पैदा हो सकता है, जिस वजह से उसे इतर कई तरह के संक्रमण भी हो सकते है।
4. इन सब बातों के अलावा प्रेगनेंसी के दौरान अगर कोई महिला हेपेटाइटिस बी वायरस से संक्रमित होती है, तो डिलीवरी के दौरान अधिक रक्तस्त्राव हो सकता है। इस वजह से डिलीवरी में भी समस्याएं पैदा हो सकती है।
5. इसके साथ ही प्रेगनेंसी में हेपेटाइटिस के संक्रमण से मधुमेह यानी डाइबिटीज होने की शक्यता भी अधिक बढ़ सकती है।
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6. इसके संक्रमण से जी मचलना, आंखें और शरीर पीला पड़ना, पेट में जलन और सूजन महसूस होना इन सब समस्याओं से भी प्रेगनेंट महिला को गुजरना पड़ सकता है।
प्रेगनेंसी में हेपेटाइटिस से खुद की रक्षा करने के लिए नियमित ब्लड टेस्ट कराएं। साथ ही अगर ये संक्रमण हो भी जाएं तो डॉक्टर की सही सलाह से इसका उपचार करें। जिस वजह से आप अपने नवजात शिशु को इस संक्रमण से बचा सकते है। अपना और होने वाले बच्चे का अच्छे से ध्यान रखें!