‘TMF’: घर पर समानता से पली बढ़ी पत्रलेखा को समाज में करना पड़ा लिंग भेदभाव का सामना!

आज के सदी में भी हमारे देश में कई बार महिलाओं को लिंग भेदभाव का सामना करना ही पड़ता है। इस मामले में आज भी मर्दों की छोटी सोच के साथ ही कई महिलाओं की सोच भी ऐसे ही होती है। लेकिन देश में कई घर ऐसे भी है, जहा स्त्री-पुरुष समानता के नारे लगाने के साथ ही लिंग भेदभाव का प्रभाव भी कम दिखाई देता है। आज के सदी में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए यह लिंग भेदभाव का सवाल ख़त्म करना बेहद जरुरी है। हमारे Hauterrfly के The Male Feminist के नए एपिसोड में एक्ट्रेस पत्रलेखा पॉल ने इस विषय पर उनकी राय बताई।

‘सिटी लाइट्स’ एक्ट्रेस पत्रलेखा एक होनहार अभिनेत्री है, जिसने अपने बलबूते पर इंडस्ट्री में अपनी जगह बनायीं है। अपने दमदार अभिनय के साथ ही मशहूर एक्टर राजकुमार राव के साथ शादी करने तक यह एक्ट्रेस सुर्खिया बटोरती रही है। इंडस्ट्री की फाइनेस्ट एक्टर की बीवी होने के साथ ही अपने अभिनय से खुद का करियर सवारने लगी पत्रलेखा ने The Male Feminist के नए एपिसोड में सिद्धार्थ अलम्बयन के साथ लिंग भेदभाव और समानता के बारे में काफी बातें की। इस बातचीत के दौरान पत्रलेखा ने अपने कई अनुभव भी शेयर किये, जिस दौरान उसे घर में नहीं बल्कि समाज में लिंग भेदभाव का सामना करना पड़ा था।

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पत्रलेखा ने अपने घर में कभी भी लिंग भेदभाव का सामना नहीं किया। सिद्धार्थ के साथ बात करते हुए एक्ट्रेस ने अपने जज्बातों को खुला कर दिया। पत्रलेखा के घर पर कभी उसे ऐसे नहीं कहा गया की यह काम सिर्फ लड़कियों का है या यह काम सिर्फ लड़कों का है। उसके पिता भी खाना बनाते थे, जैसे उसकी माँ खाना बनती थी। जैसे सामान्य घरों में लड़कियों को कहा जाता है की पीरियड्स के दौरान मंदिर में या पूजा घरों में नहीं जाते, पत्रलेखा को उसके घर में कभी किसीने ऐसे नहीं कहा। उसके घर में सब काफी चील थे। लेकिन घर से बहार निकलते ही एक्ट्रेस को समाज का और एक चेहरा दिखा जो पितृसत्ताक था या जिसमे मर्दों की ही सुनी जाती है। यह सब बाते समझने में और हजम करने में पत्रलेखा को काफी समय लगा।

पत्रलेखा के घर पर लेकिन एहि स्थिति काफी उलटी थी। पत्रलेखा और उसके बहन भाई के लिए घर में सब नियम समान थे। अगर पत्रलेखा और उसकी बहन को बचपन में खेलने के बाद 7 बजे घर आने बोलै गया तो उसके भाई को भी 7 बजे ही घर आने बोला जाता था। लड़का है तो जब मन चाहे घर आ सकता है, या लड़कियां है तो जल्दी घर आ जाये ऐसे कोई नियम पत्रलेखा के घर पर नही थे। घर के साथ साथ स्कुल में भी एक्ट्रेस को कभी किसी दोस्त या बॉयफ्रेंड ने कुछ खेलने से रोका नहीं। वह सभी लड़कों के साथ फुटबॉल, बास्केटबॉल, क्रिकेट भी खेलती थी। यहाँ तक की पत्रलेखा का बेस्ट फ्रेंड भी एक लड़का है, जिसके पास वह अपनी हर प्रोब्लेम्स को लेके जाती है। पत्रलेखा ने लिंग भेदभाव के साथ ही और भी कई बातों पर सिद्धार्थ के साथ चर्चा की, जानने के लिए TMF का यह एपिसोड जरूर देखे:

सिर्फ इतना ही नहीं, पत्रलेखा ने इंडस्ट्री में महिलाओं को मिलते हुए काम और सम्मान के बारे में भी कहा। एक्ट्रेस के शूटिंग के सेट पर अभी माइक दादा नहीं होता, तो अब एक लड़की उसके लिए काम करती है जो उसके लिए वैनिटी वैन में सब सामान फिक्स करती है, माइक ठीक करती है। साथ ही पत्रलेखा के कॉस्च्यूम डिजाइनर के सारी असिस्टेंट्स अब लड़कियां है, जो की एक्ट्रेस को एक अच्छी बात लगती है। पत्रलेखा जब सेट पर किसी महिला DOP (cinematographer) को देखती है, तो बहुत खुश हो जाती है और उसे यह महिलाओं की नजर से एक गर्व की बात लगती है।

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2014 में आयी ‘सिटी लाइट्स’ फिल्म के दौरान पत्रलेखा अपने प्यार एक्टर राजकुमार राव से पहली बार मिली। 10 साल एकदूसरे को डेट करने के बाद अब 2021 में दोनों ने शादी कर ली। एक्ट्रेस ‘लव गेम्स’, ‘नानू की जानू’, ‘बोस:डेड/अलाइव’, ‘बदनाम गली’ जैसी कई फिल्मों में काम कर चुकी है। पत्रलेखा अपनी आने वाली फिल्म ‘फुले’ में स्वावित्रीबाई फुले का किरदार निभाती दिखाई देंगी।

Tejal Limaje: Who says an introvert can't be a good artist? I am an artist, writing is my art. You can call me an emotional introverted linguistic writer. What cannot be shared through my speech, I share through my writing and words. Writing is my love, desire, passion.