Guru Purnima को Vyasa पूर्णिमा क्यों कहते है? जानिए इस दिन का शुभ मुहूर्त और तिथि!

Guru Purnima Shubh Muhurat 2023: भारतीय संस्कृति में माता-पिता के बाद किसी अन्य का स्थान माना जाता है तो वो गुरु का माना जाता है। भारतीय सनातन परंपरा में गुरु को भगवान से भी ऊंचा का दर्जा दिया गया है क्योंकि वह हमें संसार में जीने का रास्ता बताते हैं और अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का रास्ता बताते हैं। सफल जीवन जीने का रास्ता दिखाते है जो हर किसी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे में हिंदू धर्म में हर साल आषाढ़ माह में गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का त्योहार मनाया जाता है। वहीं कई लोग इस दिन गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) को व्यास पूर्णिमा क्यों कहा जाता है और इस दिन का शुभ मुहूर्त और तिथि क्या है।

 

जानें गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त

आषाढ़ की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) कहा जाता है, इस दिन शिष्य अपने गुरु की विशेष पूजा करता है और अपनी क्षमता के अनुसार दक्षिणा, फूल, वस्त्र आदि भेंट करते है। इसके अलावा इस दिन शिष्य अपने गुरु का ध्यान और पूजा करते हैं। इस साल गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) 03 जुलाई यानी सोमवार को मनाई जाती है। गुरु पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त की बात करें तो इस दिन ब्रह्म योग और इंद्र योग बन रहा है। 2 जुलाई को शाम 7.26 बजे से 3 जुलाई को दोपहर 3.45 बजे तक ब्रह्म योग रहेगा। वहीं इंद्र योग की बात करें तो यह 3 जुलाई को दोपहर 3.45 बजे शुरू होगा और 4 जुलाई को सुबह 11.50 बजे समाप्त होगा।

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Guru Purnima को व्यास पूर्णिमा क्यों कहते है?

गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) को व्यास पूर्णिमा या वेद व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। बता दें, पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि कृष्णद्वैपायन जी (वेदव्यास) का जन्म आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि को हुआ था, जिसके कारण इस दिन को व्यास जयंती के नाम से भी जाना जाता है। महर्षि कृष्णद्वैपायन जी (वेद व्यास) ने महाभारत की रचना की, इसके अलावा उन्हें श्रीमद्भागवत, मीमांसा और 18 पुराणों का रचयिता माना जाता है। इसी कारण महर्षि वेदव्यास जी को आदि गुरु का दर्जा प्राप्त है। कहा जाता है कि महर्षि वेद व्यास स्वयं भगवान विष्णु के ही रूप थे। गुरु पूर्णिमा के दिन महर्षि वेदव्यास जी की भी पूजा की जाती है। आज के दिन (Guru Purnima) आप गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा, गुरु साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः का जप कर सकते हैं। इस संस्कृत श्लोक में जिक्र किया गया है कि, गुरु का स्थान तीनों देवताओं में सबसे ऊपर है। इन तीन गुरुओं में ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं।

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गौरतलब है कि, गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के दिन स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें और गुरु की पूजा करें। इसके लिए गुरु व्यास की मूर्ति पर रोली, चंदन, फूल, प्रसाद और वस्त्र चढ़ाएं। साथ ही गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के दिन गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये मंत्र का जाप करें।

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