बारिश के महीनों में आने वाले इस सबसे बड़ी एकादशी (Ashadhi Ekadashi) को भारत में कई जगहों पर बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन महाराष्ट्र की चंद्रभागा नदी के तट पर बसने वाले गांव पंढरपुर (Pandharpur) के विट्ठल भगवान के दर्शन करने इस दिन देश के कोने कोने से लोग आते है। इस एकादशी के एक महीने पहले से लोग पंढरपुर की वारी में शामिल होने जाते है। यह पंढरपुर यात्रा जिसे वारी कहते है, लाखों-करोडो की तादाद में लोग इसमें शामिल होते है और भगवान विट्ठल और देवी रुक्मिणी को भक्तिभाव से याद करते है। वारकरी सांप्रदाय की इस पंढरपुर वारी को World Book of Records में भी शामिल किया गया है। साल में आने वाली इस बड़ी एकादशी के दौरान किए गए व्रत में कुछ चीजों का ध्यान रखना बेहद जरुरी होता है। चलिए जानते है आषाढ़ी एकादशी के दिन व्रत करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
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बारिश के दौरान आने वाली आषाढ़ी एकादशी को देवशयनी एकादशी भी कहा जाता है। भगवान विट्ठल और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसे माना जाता है की, भगवान विष्णु श्रीरसागर में शेषनाग पर विराजमान होकर सो जाते है। इसीलिए इस एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष में प्रबोधनी एकादशी के दौरान भगवान विष्णु अपनी निद्रा से उठ जाते है। इसीलिए भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए एकादशी का व्रत किया जाता है। इसके साथ ही भगवान विष्णु के रूप भगवान विट्ठल की भी आराधना की जाती है।
ऐसे करे व्रत:
एकादशी का व्रत करते वक्त आपको कुछ बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए। इस दिन सुबह उठते ही आपका व्रत शुरू हो जाता है। पुरे दिन ये व्रत रहता है और इस दौरान भगवान विष्णु और विट्ठल की आराधना करनी चाहिए। इसके साथ ही तुलसी के पत्ते भगवान विष्णु और विट्ठल भगवान को चढाने चाहिए और आरती करनी चाहिए। इसका व्रत रखते हुए कोई कोई निर्जला व्रत भी रखते है। अगर आपको निर्जला व्रत नहीं रखना है तो आप तामसिक व्रत रख सकते है। मतलब इस व्रत के दौरान मांस, प्याज, लहसुन का सेवन ना करें। इसके साथ ही चावल या चावल से बने पदार्थ भी नहीं खाने चाहिए। इस दौरान पैसे, कपडे, खाना और पानी जैसी वस्तुएं दान करनी चाहिए।
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तो इस देवशयनी या आषाढ़ी एकादशी के दिन भगवान विट्ठल और भगवान विष्णु के लिए जरूर व्रत रखे। आप सभी को आषाढ़ी एकादशी (Devshayani Ekadashi) की ढेर सारी शुभकामनाएं!