Anand Mahindra Praggnanandhaa को नहीं, उसकी माँ को देने वाले है इलेक्ट्रिक कार भेंट; कारन जान कर आँखों में आएंगे आंसू!

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हाल ही में भारतीय चेस ग्रैंडमास्टर प्रगनाननंदा (Rameshbabu Praggnanandhaa) ने फिडे विश्वकप चेस के फाइनल (FIDE World Cup Chess Final) में पहुँच कर देश का नाम गर्व से ऊँचा कर दिया। साथ ही में उसने तमाम देशवासियों को शतरंज के खेल की जागरूकता भी बढ़ाई। प्रगनाननंदा विश्वकप चेस के फाइनल में तो पहुँच गया, लेकिन फाइनल मैच जीत नहीं पाया। फिर भी उसने तमाम लोगों को अपनी सादगी और खेलने की चतुरता से अपना फैन बना लिया है। लेकिन जो असली हीरो बनी वह है प्रगनाननंदा के साथ हमेशा दिखाई देने वाली उसकी माँ श्रीमती नागलक्ष्मी (Shrimati Nagalakshmi)। प्रगनाननंदा के हर एक मैच के दौरान हमेशा उसके साथ दिखाई देने वाली उसकी माँ को पूरी दुनिया ने देखा और उनकी सराहना भी की। वही Mahindra and Mahindra कंपनी के चेयरपर्सन आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) ने प्रगनाननंदा के बारे में कुछ ऐसा लिखा, जिससे पूरा देश उनकी तारीफ करते नजर आ रहा है।

भारतीय चेस ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रगनाननंदा ने पिछले हफ्ते बाकू में हुए FIDE World Cup में दूसरा स्थान प्राप्त कर इतिहास रचा। भले ही फाइनल प्रगनाननंदा नहीं जीत पाया, लेकिन उसने अपने खेल से लोगों का दिल जीत लिया। वही भारतीय बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा भी प्रगनाननंदा के खेल से प्रभावित हुए। जहां सोशल मीडिया पर लोग चाहते थे की आनंद महिंद्रा प्रगनाननंदा को उनकी सबसे शानदार कार थार का तोहफा दे, वही आनंद महिंद्रा ने प्रगनाननंदा को नहीं, बल्कि उसकी माँ और पिता को इलेक्ट्रिक कार का तोहफा देने के बारे में सोच रहे है।

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इसके साथ ही महिंद्रा ने ये तोहफा प्रगनाननंदा के पैरेंट्स को देने के पीछे का कारन बताते हुए एक ट्वीट किया। आनंद महिंद्रा लोगों को अपने बच्चों को शतरंज के प्रति जागरूक बनाना और इस खास खेल को आगे बढ़ाने में समर्थन करने का प्रोत्साहन देना चाहते है। उनके हिसाब से ये विचार भी इलेक्ट्रिक कार की तरह दुनिया के बेहतर भविष्य के लिए एक निवेश है। इसीलिए महिंद्रा प्रगनाननंदा के माता पिता को XUV4OO EV ये इलेक्ट्रिक कार भेंट स्वरुप देने वाले है।

इसके साथ ही आनंद महिंद्रा को यह भी लगता है की, प्रगनाननंदा की माँ नागलक्ष्मी और पिता रमेशबाबू ने अपने बेटे के खेलने के जूनून को पोषण दिया है और साथ ही उसे खेल के लिए भी समर्थन दिया है। इसीलिए उसके मातापिता हमारे आभार के पात्र है। प्रगनाननंदा की ये मैच नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन से थी, जो की 5 बार वर्ल्ड चेस चैंपियन (World Chess Champion) रह चुके है। प्रगनाननंदा को चेस खेलने के लिए उसके घर से ही प्रोत्साहन मिला। खिलाड़ी के साथ हमेशा उसकी माँ नागलक्ष्मी रहती है। अपने बेटे प्रगनाननंदा को किसी बात की कमी ना महसूस हो, इसीलिए उसकी माँ हमेशा हर खेल में उसका प्रोत्साहन बढ़ाने साथ आती है। महज 12 साल की उम्र में चेस ग्रैंडमास्टर बने प्रगनाननंदा का जन्म चेन्नई में हुआ था। प्रगनाननंदा के माँ पिता ने सिर्फ उसे ही नहीं,बल्कि उसकी बहन वैशाली को भी चेस खेलने की प्रेरणा दी। वह भी एक महिला चेस ग्रैंडमास्टर है।

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आनंद महिंद्रा के इन सोच विचार पढ़ कर लोगों को प्रगनाननंदा के साथ ही उसके माता पिता पर भी गर्व महसूस हो रहा है। सच में आनंद महिंद्रा ने कही ये बात काफी बड़ी है और दुनिया में कई बच्चों को खेल के प्रति प्रोत्साहन देने वाला है।

Tejal Limaje: Who says an introvert can't be a good artist? I am an artist, writing is my art. You can call me an emotional introverted linguistic writer. What cannot be shared through my speech, I share through my writing and words. Writing is my love, desire, passion.