हिंदू धर्म में क्यों वसंत पंचमी है इतनी महत्वपूर्ण, जान ले महत्त्व!

भारत एक ऐसा देश है जहाँ हर तरह के, हर धर्म के लोग साथ रहते है। साथ रह कर सभी लोग हर धर्म के त्यौहार साथ मे मनाते है। यही तो भारत देश की खासियत है और इसी एकात्मता से देश मजबूत बनता है। सर्दी के मौसम में संक्रांति, लोहरी और पोंगल के बाद आने वाला दूसरा महत्वपूर्ण त्यौहार है वसंत पंचमी। यह त्यौहार इतना ख़ास क्यों होता है, यह भारत में क्यों और कब मनाया जाता है इसके बारे में जान लेते है।

क्या है महत्त्व?

वसंत ऋतु में सब जगह वातावरण अच्छा और हरा भरा हो जाता है। खेत में फसल उगने लगती है, बगीचों में रंगबिरंगे फूल खिलने लगते है, पेड़-पौधे हरे-भरे हो जाते है। सर्दी जाते जाते और गर्मी के आने से पहले इस सुहाने और उल्हासित मौसम में वसंत ऋतु का आगमन होता है। ऐसे माना जाता है की इसी ऋतु में इसी दिन देवी सरस्वती का जन्म हुआ था। इसीलिए यह वसंत पंचमी में देवी सरस्वती की भी पूजा की जाती है।

वसंत पंचमी का त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है। भारत के कई जगहों पर अलग अलग तरीके से पूजा की जाती है। पश्चिम बंगाल और बिहार में सरस्वती पूजा घरों और पंडालों में की जाती है। शाम को देवी की मूर्तियों को भी पानी में विसर्जित किया जाता है। वसंत पंचमी शुभ कार्यों और विवाह के लिए एक उत्कृष्ट दिन माना जाता है। इस पर्व को श्री पंचमणि और सरस्वती पंचमी के रूप में भी मनाया जाता है।

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पीला रंग ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है, इसीलिए वसंत पंचमी के दिन भारत के कई राज्यों में पीले रंग के कपड़े पहने जाते है। साथ ही कई लोगों को पतंग उड़ाते हुए भी दिखाई देते है। इस दिन पूजा के वक़्त माँ सरस्वती को सरसों और गेंदे के फूल भी चढ़ाए जाते हैं। इसके साथ ही ऐसी भारत में मान्यता है की, माँ सरस्वती की उत्पत्ति सत्त्वगुण से हुई है और उन्हें सफेद वस्तुओं से लगाव है। इसलिए इस दिन दूध, दही, मक्खन, सफेद वस्त्र, शक्कर, सफेद तिल और चावल जैसे सफेद पदार्थ का दान किया जाता है।

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कब आती है वसंत पंचमी

नया साल शुरू होते ही सर्दी के दिनों में जनवरी के अंत में या फरवरी के महीने में वसंत पंचमी आती है। हिंदी माघ महीने के 5 वें दिन से वसंत ऋतु का प्रारंभ होता है। इस साल वसंत पंचमी 26 जनवरी को आ रही है। इस साल सरस्वती पूजा का मुहूर्त सुबह 07.12 से लेकर दोपहर 12.34 तक है।

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